BK Murli Hindi 28 April 2016

bk murli today

Posted by: BK Prerana

BK Prerana is executive editor at bkmurlis.net and covers daily updates from Brahma Kumaris Spiritual University. Prerana updates murlis in English and Hindi everyday.
Twitter: @bkprerana | Facebook: @bkkumarisprerana
Share:






    Brahma Kumaris Murli Hindi 28 April 2016

    28-04-16 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन

    “मीठे बच्चे - तुम्हें फूल बन सबको सुख देना है, फूल बच्चे मुख से रत्न निकालेंगे''  

    प्रश्न:

    फूल बनने वाले बच्चों प्रति भगवान की कौन सी ऐसी शिक्षा है, जिससे वह सदा खुशबूदार बना रहे?

    उत्तर:

    हे मेरे फूल बच्चे, तुम अपने अन्दर देखो - कि मेरे अन्दर कोई आसुरी अवगुण रूपी कांटा तो नहीं है! अगर अन्दर कोई कांटा हो तो जैसे दूसरे के अवगुण से नफ़रत आती है वैसे अपने आसुरी अवगुण से नफ़रत करो तो कांटा निकल जायेगा। अपने को देखते रहो - मन्सा-वाचा-कर्मणा ऐसा कोई विकर्म तो नहीं होता है, जिसका दण्ड भोगना पड़े!

    ओम् शान्ति।

    रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप बैठ समझाते हैं। इस समय यह रावण राज्य होने कारण मनुष्य सब हैं देह- अभिमानी इसलिए उन्हों को जंगल का कांटा कहा जाता है। यह कौन समझाते हैं? बेहद का बाप। जो अब कांटों को फूल बना रहे हैं। कहाँ-कहाँ माया ऐसी है जो फूल बनते-बनते फट से फिर कांटा बना देती है। इसको कहा ही जाता है कांटों का जंगल, इसमें अनेक प्रकार के जानवर मिसल मनुष्य रहते हैं। हैं मनुष्य, परन्तु एक दो में जानवरों मिसल लड़ते- झगड़ते रहते हैं। घर-घर में झगड़ा लगा हुआ है। विषय सागर में ही सब पड़े हैं, यह सारी दुनिया बड़ा भारी विष का सागर है, जिसमें मनुष्य गोते खा रहे हैं। इसको ही पतित भ्रष्टाचारी दुनिया कहा जाता है। अभी तुम कांटों से फूल बन रहे हो। बाप को बागवान भी कहा जाता है। बाप बैठ समझाते हैं - गीता में है ज्ञान की बातें और फिर मनुष्यों की चलन कैसी है - वह भागवत में वर्णन है। क्या-क्या बातें लिख दी हैं। सतयुग में ऐसे थोड़ेही कहेंगे। सतयुग तो है ही फूलों का बगीचा। अभी तुम फूल बन रहे हो। फूल बनकर फिर कांटे बन जाते हैं। आज बड़ा अच्छा चलते फिर माया के तूफान आ जाते हैं। बैठे-बैठे माया क्या हाल कर देती है। बाप कहते रहते हैं हम तुमको विश्व का मालिक बनाते हैं। भारतवासियों को कहते हैं तुम विश्व के मालिक थे। कल की बात है। लक्ष्मी-नारायण का राज्य था। हीरे जवाहरातों के महल थे। उनको कहते ही हैं गार्डन ऑफ अल्लाह। जंगल यहाँ है, फिर बगीचा भी यहाँ होगा ना। भारत स्वर्ग था, उसमें फूल ही फूल थे। बाप ही फूलों का बगीचा बनाते हैं। फूल बनते-बनते फिर संगदोष में आकर खराब हो जाते हैं। बस बाबा हम तो शादी करते हैं। माया का भभका देखते हैं ना। यहाँ तो है बिल्कुल शान्ति। यह दुनिया सारी है जंगल। जंगल को जरूर आग लगेगी। तो जंगल में रहने वाले भी खत्म होंगे ना। वही आग लगनी है जो 5 हजार वर्ष पहले लगी थी, जिसका नाम महाभारत लड़ाई रखा है। एटॉमिक बॉम्ब्स की लड़ाई तो पहले यादवों की ही लगती है। वह भी गायन है। साइन्स से मिसाइल्स बनाये हैं। शास्त्रों में तो बहुत कहानियाँ हैं। बाप बच्चों को समझाते हैं - ऐसे कोई पेट से थोड़ेही मूसल आदि निकल सकते हैं। अभी तुम देखते हो साइंस द्वारा कितने बॉम्ब्स आदि बनाते हैं। सिर्फ 2 बॉम ही लगाये तो कितने शहर खत्म हो गये। कितने आदमी मरे। लाखों मरे होंगे। अब इस इतने बड़े जंगल में करोड़ों मनुष्य रहते हैं, इनको आग लगनी है।

    शिवबाबा समझाते हैं, बाप तो फिर भी रहमदिल है। बाप को तो सबका कल्याण करना है। फिर भी जायेंगे कहाँ। देखेंगे बरोबर आग लगती है तो फिर भी बाप की शरण लेंगे। बाप है सर्व का सद््गति दाता, पुनर्जन्म रहित। उनको फिर सर्वव्यापी कह देते। अभी तुम हो संगमयुगी। तुम्हारी बुद्धि में सारा ज्ञान है। मित्र-सम्बन्धियों आदि के साथ भी तोड़ निभाना है। उनमें हैं आसुरी गुण, तुम्हारे में हैं दैवी गुण। तुम्हारा काम है औरों को भी यही सिखलाना। मन्त्र देते रहो। प्रदर्शनी द्वारा तुम कितना समझाते हो। भारतवासियों के 84 जन्म पूरे हुए हैं। अब बाप आये हैं - मनुष्य से देवता बनाने अर्थात् नर्कवासी मनुष्यों को स्वर्गवासी बनाते हैं। देवता स्वर्ग में रहते हैं। अभी अपने को आसुरी गुणों से नफ़रत आती है। अपने को देखा जाता है, हम दैवीगुणों वाले बने हैं? हमारे में कोई अवगुण तो नहीं हैं? मन्सा-वाचा-कर्मणा हमने कोई ऐसा कर्म तो नहीं किया जो आसुरी काम हो? हम कांटों को फूल बनाने का धन्धा करते हैं वा नहीं? बाबा है बागवान और तुम ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हो माली। किसम-किसम के माली भी होते हैं। कोई तो अनाड़ी हैं जो किसको आप समान नहीं बना सकते। प्रदर्शनी में बागवान तो नहीं जायेंगे। माली जायेंगे। यह माली भी शिवबाबा के साथ है, इसलिए यह भी नहीं जा सकता। तुम माली जाते हो सर्विस करने के लिए। अच्छे-अच्छे मालियों को ही बुलाते हैं। बाबा भी कहते हैं अनाड़ियों को न बुलाओ। बाबा नाम नहीं बतलाते हैं। थर्डक्लास माली भी हैं ना। बागवान प्यार उनको करेंगे जो अच्छे-अच्छे फूल बनाकर दिखायेंगे। उस पर बागवान खुश भी होगा। मुख से सदैव रत्न ही निकालते रहते हैं। कोई रत्न के बदले पत्थर निकालेंगे तो बाबा क्या कहेंगे। शिव पर अक के फूल भी चढ़ाते हैं ना। तो कोई ऐसे भी चढ़ते हैं ना। चलन तो देखो कैसी है। कांटे भी चढ़ते हैं, चढ़कर फिर जंगल में चले जाते हैं। सतोप्रधान बनने बदले और ही तमोप्रधान बनते जाते हैं। उनकी फिर क्या गति होती है!

    बाप कहते हैं - मैं एक तो निष्कामी हूँ और दूसरा पर-उपकारी हूँ। पर-उपकार करता हूँ भारतवासियों पर, जो हमारी ग्लानी करते हैं। बाप कहते हैं - मैं इस समय ही आकर स्वर्ग की स्थापना करता हूँ। किसको कहो स्वर्ग चलो। तो कहते स्वर्ग में तो हम यहाँ हैं ना। अरे स्वर्ग होता है सतयुग में। कलियुग में फिर स्वर्ग कहाँ से आया। कलियुग को कहा ही जाता है नर्क। पुरानी तमोप्रधान दुनिया है। मनुष्यों को पता ही नहीं है कि स्वर्ग कहाँ होता है। स्वर्ग आसमान में समझते हैं। देलवाड़ा मन्दिर में भी स्वर्ग ऊपर में दिखाया है। नीचे तपस्या कर रहे हैं। तो मनुष्य भी इसलिए कह देते - फलाना स्वर्ग पधारा। स्वर्ग कहाँ है? सबके लिए कह देते स्वर्गवासी हुआ। यह है ही विषय सागर। क्षीर सागर विष्णुपुरी को कहा जाता है। उन्होंने फिर पूजा के लिए एक बड़ा तलाव बनाया है। उसमें विष्णु को बिठाया है। अभी तुम बच्चे स्वर्ग में जाने की तैयारी कर रहे हो। जहाँ दूध की नदियाँ होंगी। अभी तुम बच्चे फूल बनते जाओ। ऐसी कोई चलन कभी नहीं चलनी है जो कोई कहे, यह तो कांटा है। हमेशा फूल बनने के लिए पुरूषार्थ करते रहो। माया कांटा बना देती है, इसलिए अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है।

    बाप कहते हैं - -गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र बनना है। बागवान बाबा कांटों से फूल बनाने आये हैं। देखना है हम फूल बने हैं। फूलों को ही सर्विस के लिए जहाँ-तहाँ बुलाते हैं। बाबा गुलाब का फूल भेजो। दिखाई तो पड़ता है ना - कौन, कौनसा फूल है। बाप कहते हैं - मैं आता ही हूँ तुमको राजयोग सिखलाने। यह है ही सत्य नारायण की कथा। सत्य प्रजा की नहीं है। राजा रानी बनेंगे तो प्रजा भी अन्डरस्टुड बनेंगी। अभी तुम समझते हो राजा रानी तथा प्रजा कैसे नम्बरवार बनती है। गरीब जिनके पास दो पाँच रूपया भी नहीं बचता है, वह क्या देंगे। उनको भी उतना मिलता है, जितना हजार देने वाले को मिलता है। सबसे ज्यादा भारत गरीब है। किसको भी याद नहीं है कि हम भारतवासी स्वर्गवासी थे। देवताओं की महिमा भी गाते हैं परन्तु समझ नहीं सकते। जैसे मेढक ट्रां-ट्रां करते हैं। बुलबुल आवाज कितना मीठा करती है, अर्थ कुछ नहीं। आजकल गीता सुनाने वाले कितने हैं। मातायें भी निकली हैं। गीता से कौन सा धर्म स्थापन हुआ? यह कुछ भी नहीं जानते हैं। थोड़ी रिद्धि-सिद्धि कोई ने दिखाई तो बस, समझेंगे यह भगवान है। गाते हैं पतित-पावन। तो पतित हैं ना। बाप कहते हैं - विकार में जाना यह नम्बरवन पतितपना है। यह सारी दुनिया पतित है। सब पुकारते हैं - हे पतित-पावन आओ। अब उनको आना है वा गंगा स्नान करने से पावन बनना है? बाप को मनुष्य से देवता बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम कांटे से फूल बन जायेंगे। मुख से कभी पत्थर नहीं निकालो। फूल बनो। यह भी पढ़ाई है ना। चलते-चलते ग्रहचारी बैठ जाती है तो फेल हो जाते हैं। होपफुल से होपलेस हो जाते हैं। फिर कहते हैं हम बाबा के पास जायें। इन्द्र की सभा में गन्दे थोड़ेही आ सकते हैं। यह इन्द्र सभा है ना। ब्राह्मणी जो ले आती है उस पर भी बड़ी जवाबदारी है। विकार में गया तो ब्राह्मणी पर भी बोझ पड़ेगा, इसलिए सम्भाल कर किसको ले आना चाहिए। आगे चल तुम देखेंगे साधू सन्त आदि सब क्यु में खड़े हो जायेंगे। भीष्म पितामह आदि का नाम तो है ना। बच्चों की बड़ी विशाल बुद्धि होनी चाहिए। तुम किसी को भी बता सकते हो - भारत गार्डन ऑफ फ्लावर था। देवी देवतायें रहते थे। अभी तो कांटे बन गये हैं। तुम्हारे में 5 विकार हैं ना। रावण राज्य माना ही जंगल। बाप आकर कांटों को फूल बनाते हैं। ख्याल करना चाहिए - अभी हम गुलाब के फूल नहीं बने तो जन्म जन्मान्तर अक के फूल ही बनेंगे। हर एक को अपना कल्याण करना है। शिवबाबा पर थोड़ेही मेहरबानी करते हैं। मेहरबानी तो अपने पर करनी है। अब श्रीमत पर चलना है। बगीचे में कोई जायेंगे तो खुशबूदार फूलों को ही देखेंगे। अक को थोड़ेही देखेंगे। फ्लावर शो होता है ना। यह भी फ्लावर शो है। बड़ा भारी इनाम मिलता है। बहुत फर्स्टक्लास फूल बनना है। बड़ी मीठी चलन चाहिए। क्रोधी के साथ बड़ा नम्र हो जाना चाहिए। हम श्रीमत पर पवित्र बन पवित्र दुनिया स्वर्ग का मालिक बनने चाहते हैं। युक्तियाँ तो बहुत होती हैं ना। माताओं में त्रिया-चरित्र बहुत होते हैं। चतुराई से पवित्रता में रहने के लिए पुरूषार्थ करना है। तुम कह सकती हो कि भगवानुवाच काम महाशत्रु है, पवित्र बनो तो सतोप्रधान बन जायेंगे। तो क्या हम भगवान की नहीं मानें! युक्ति से अपने को बचाना चाहिए। विश्व का मालिक बनने के लिए थोड़ा सहन किया तो क्या हुआ। अपने लिए तुम करते हो ना। वह राजाई के लिए लड़ते हैं तुम अपने लिए सब कुछ करते हो। पुरूषार्थ करना चाहिए। बाप को भूल जाने से ही गिरते हैं। फिर शर्म आती है। देवता कैसे बनेंगे। अच्छा-

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। 


    धारणा के लिए मुख्य सार:

    1) माया की ग्रहचारी से बचने के लिए मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकालने हैं। संग दोष से अपनी सम्भाल रखनी है।

    2) खुशबूदार फूल बनने के लिए अवगुणों को निकालते जाना है। श्रीमत पर बहुत-बहुत नम्र बनना है। काम महाशत्रु से कभी भी हार नहीं खानी है। युक्ति से स्वयं को बचाना है।

    वरदान:

    निराकार सो साकार-इस मन्त्र की स्मृति से सेवा का पार्ट बजाने वाले रूहानी सेवाधारी भव!   

    जैसे बाप निराकार सो साकार बन सेवा का पार्ट बजाते हैं ऐसे बच्चों को भी इस मन्त्र का यंत्र स्मृति में रख सेवा का पार्ट बजाना है। यह साकार सृष्टि, साकार शरीर स्टेज है। स्टेज आधार है, पार्टधारी आधारमूर्त हैं, मालिक हैं। इस स्मृति से न्यारे बनकर पार्ट बजाओ तो सेन्स के साथ इसेंसफुल, रूहानी सेवाधारी बन जायेंगे।

    स्लोगन:

    साक्षी बन हर खेल को देखने वाले ही साक्षी दृष्टा हैं।   



    ***OM SHANTI***