BK Avyakt Bapdada Milan Murli Hindi 5 December 2016

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Posted by: BK Prerana

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    BK Avyakt Bapdada Milan Murli Hindi 5 December 2016

    05-12-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन

    “सभी दिल के तस्वीर में पहले अव्यक्त मिलन की याद समाई हुई है,
    सभी के मुख में, दिल में है मेरा बाबा, मीठा बाबा,प्यारा बाबा”


    ओम् शान्ति। 

    आज के दिन ब्रह्मा बाबा की याद ज्यादा आती है। यही दिन है जो अव्यक्त रूप में बापदादा के मिलन का सूक्ष्मवतन में पार्ट चला था और सभी की सूरत में बापदादा की मूर्त स्पष्ट प्रत्यक्ष हुई थी। सभी के मुख से एक ही शब्द निकला हमारा बाबा, हमारा बाबा हमसे मिल रहे हैं। वही दिन था जो आप सभी बच्चे अव्यक्त रूप में मिल रहे थे, जैसे अभी आप सब बाबा से मिल रहे हैं, तो यही दिन था पहला दिन, जो अव्यक्त रूप में बाप बच्चों से मिला था। हर एक के मन में वह दिन जिसको कहते हैं अव्यक्त मिलन, अव्यक्त रूप का मिलन भी हुआ और अव्यक्त रूप में बाबा के नयनों में अव्यक्त मिलन का पहला दिवस था। सभी के दिल में अव्यक्त मिलन का यह नज़ारा देखा और सबने अव्यक्त मिलन का दिवस मनाया। हर दिन की लीला अपनी अपनी है। तो यह अव्यक्त दिन दिल को बहुत प्यारा लगा है। व्यक्त देश में होते भी अव्यक्त मिलन, अव्यक्त दिवस, अव्यक्त नज़ारे चारों ओर सभी के नयनों में थे। ऐसा अव्यक्त मिलन सभा में, अव्यक्त रूप में बाप और बच्चों का मिलन दिवस मनाया जा रहा था। सभी के मुख से बाबा ओ बाबा, मीठा बाबा, साकार में भी अव्यक्त रूप को देखा और यह अव्यक्त दिवस मैजारिटी उसी स्नेह में उसी रूप में मना रहे थे। सभी के दिल में यह अव्यक्त मिलन, साकार रूप का मिलन, यह मधुर मिलन दिल को आकर्षित कर रहा था। जो साकार में मिलते थे, उन्हें अभी वही मिलन अव्यक्त मिलन बड़ा मधुर अनुभव याद दिला रहा था, मेरा बाबा, मीठा बाबा. याद है ना वह मिलन! कौन आये थे, पहले दिन? इतनी सभा से कौन आये थे मिलन मनाने, हाथ उठाओ।

    देखो, वह मिलन का दिन बड़े दिल से मनाया था। तो जब मना रहे थे उस समय सब वेट कर रहे थे तो अभी अभी साकार में बापदादा मिलन मना रहे थे और अभी अभी अव्यक्त ब्रह्मा के रूप में मिलन मना रहे हैं। सब वह दिन याद कर रहे थे, वह अव्यक्त बाबा का पहला दिन था, सभी के नयन मिलन डे पहला दिन मना रहे थे। जैसे आज अव्यक्त मिलन मना रहे हैं, ऐसे ही अव्यक्त दिवस मना रहे थे। हर एक मन में अव्यक्त मिलन की खुशियां मना रहे थे। सभी की दिल तस्वीर के अन्दर आटोमेटिक वह दिन याद आ रहा है। बच्चों को बाबा, बाबा को बच्चे किस रूप में मिले होंगे? उसी दिन की याद आ रही है, जो आगे आगे बच्चे बैठे थे, वह उसी दिनों को याद कर रहे थे कि बाप और बच्चों का प्रत्यक्ष मिलन याद होगा कि कैसे वतन में यह पहला दिन का मिलन था। वैसे तो कुछ समय का मिलन था और सभी की शक्लें ऐसे थी जैसे यह दिन हमको सदा ही याद दिलायेगा, तो सभी ने यह दिन मिलन का दिन मनाया। बस सबके दिल में मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा, नयन चमक रहे हैं। आप सब जो यहाँ बैठे हो दो दो नयन आप हर एक के हैं, कोई कोई होंगे जो बिचारे देख नहीं सकते होंगे लेकिन बाप भी बच्चों को देख रहे थे और बच्चे भी बाबा को देख रहे थे, दोनों के मुख से मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा निकल रहा था। आप सोचो, उस समय का मिलन क्या नहीं होगा। वह दिन भूलना भी मुश्किल है। वह दिन भी याद करते हैं तो याद आता है, वह दिन याद रहता है खास, क्योंकि पहला दिन था जो निराकार से साकार, साकार से सूक्ष्म ब्रह्मा के रूप में बाबा सभी बच्चों से मिल रहे थे। वह सीन तो सभी को याद है ना। आंखों का पानी, आंखें वह दिन याद दिला रही थी। सबकी दिल कहती थी कि यह दिन जो हैं यह बहुत याद के खास दिन हैं। और जिस समय वह अव्यक्त मिलन बच्चे बाप से मना रहे थे, तो सोचो सारी सभा का क्या हाल होगा! सभी उस दिन की याद में ही चले गये। ऐसे सब याद में खोये हुए थे वह दिन भी सभी को याद होंगे, जो मधुबन आये होंगे उन्हों को तो बहुत याद होगा, वह याद बहुत ही गहरी थी। सभी के नयन गंगा जमुना नदी बन रहे थे। तो यह दिन विशेष है, सभी ने सोचा पता नहीं कैसे हम रहेगे! बाबा तो जानता था, बाबा बोले, यह प्यारा दिन है, रोने का दिन नहीं है। प्यार का स्वरूप क्या होता है, वह दिखाने के दृश्य दिखा रहा था। तो सभी ने अपने दिल का प्यार प्रकट किया। अच्छा।

    सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा का है :

    15 हजार वहाँ से आये हैं, टोटल 22 हजार हैं:- अच्छा है, जो अभी आये हैं मिलने के लिए, वह सब खड़े रहें, बाकी बैठे। अच्छा है, बापदादा ने यह खास हाथ इसीलिए उठवाया, कि जितने भी आये हैं इन्होंने मिलन तो मनाया। मनाया ना सभी ने मिलन! और मिलन ने आपको होमवर्क भी दिया। क्या हमको करना है आगे, वह भी सुनाया। तो देखो, बाबा को कितना बच्चों का शुभ दिन याद रहता है। भूलता तो किसको भी नहीं है, भिन्न-भिन्न रूप से मनाते रहते हैं लेकिन हम और बाबा हर दिन की विशेषता भूल नहीं सकते। हर दिन की विशेषता याद दिलाती है और भिन्नभिन्न समय पर जो लीला चली है, वह दिव्य लीला कभी कोई लीला, कभी कोई लीला सभी ने देखी होगी।

    डबल विदेशी, 30 देशों से 300 भाई बहिनें आये हैं:- 

    सभी नजदीक आ गये। बाबा को कितने बच्चे याद रहते हैं। हर बच्चा समय-समय पर आते हैं परन्तु जो याद आते हैं और पहुंच जाते हैं उन्हों का खेल भी अजीब है। आते हैं और मिल करके अपने दिल की बातें दिलाराम के आगे रखते हैं और फिर चले जाते हैं लेकिन वह बातें जिगरी दिल की बाते हैं ना! तो सारी सभा का वायुमण्डल, हाल का वायुमण्डल याद की दीवारों से सजे हुए नज़र आते हैं। सारी दीवारों पर ‘मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा’ यही लिखा हुआ है, बहुत अच्छी डिज़ाइन से लिखा हुआ नज़र आ रहा है। आपको नज़र आया? आया ना! जिसको वह नज़र आ रहा है वह हाथ उठाओ। तो आप भी अपने प्यार की निशानियां, जो देखा वह यादगार बन गया। यादगार दिन सदैव याद नहीं करना पड़ता है लेकिन वह दिन ही यादगार बन गये हैं।

    दादियों से:- 

    सभा देखी। (बाबा देखा) बाबा देखा तो सब कुछ देख लिया। सभी के दिल में प्यार के झूले में झुला दिया। सभी की शक्ले देखो अभी सभी झूल रहे हैं ना। सभी कहाँ बैठे हैं। सभी झूले में बैठे हैं, झूले में। सभी बाबा बाबा दिल ही दिल में कह रहे हैं, नहीं तो घमसान हो जाए। अभी सभी की दिल में क्या चल रहा है। बाबा, बाबा, बाबा। अच्छा है ना। बाबा भी बच्चों का प्यार देखकर खुश होता है कि कितना प्यार इन्हों के दिल में है और कितने दिल से वर्णन करते हैं। देखो बापदादा की दिल क्या कहती है! बतायें, तुम नहीं सुनाओ तो बाप बताते हैं। हर एक की शक्ल बोलती है। वैसे तो दूर दूर हैं, नहीं समझ सकें लेकिन हर एक दिल में बोलते हैं, दिल की बातें वह बापदादा के पास पहले पहुंचती हैं। सभी की शक्लें जो हैंना, वह फोटोग्राफर अपने छोटे उसमें (कैमरे में) बंद कर लेता है। और देखो, कोई कोई का फेस मुरझाया हुआ होता, पता नहीं क्या क्या सोचते हैं, लेकिन बाबा को वह बच्चे देखने में आते हैं जो सदा ही हर्षित रहते हैं। बस दिल में सदा ही कोई न कोई तस्वीर मिलने की रहती ही है। जैसे आप लोग रखते हैं ना कि खास यह मिलन डे है। (रतनमोहिनी दादी से से) तबियत ठीक हो रही है ना। जब यह सोचेंगे ना, बाबा हमको मिल रहा है तो आपको फीलिग आयेगी कि बाप मिल रहा है। बाप सूक्ष्म में तो दूर है लेकिन सूक्ष्म में बापदादा की सूरत दिल में समाई हुई है। दिल में तो हर एक समा सकता हैना। कुछ भी हो, आंधी हो, तूफान हो, क्या भी हो लेकिन दिल की मुलाकात, दिल का हालचाल, दिल का भोजन सब बहुत प्यार से स्वीकार होता है। सब खुश होते हैं। अच्छा।



    ***OM SHANTI***