BK Murli Hindi 5 December 2016

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Posted by: BK Prerana

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    Brahma Kumaris Murli Hindi 5 December 2016

    05-12-16 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन 

    “मीठे बच्चे– सच्चे बाप के साथ सदा सच्चे रहो, सच न बताने से पाप वृद्धि को पाते रहेंगे”

    प्रश्न:

    रूद्र यज्ञ के रक्षक सच्चे-सच्चे ब्राह्मणों की धारणायें व निशानियां सुनाओ?

    उत्तर:

    यज्ञ के रक्षक ब्राह्मण कभी भी कोई उल्टा कर्म नहीं कर सकते। वह देही-अभिमानी बन पहले तो अपनी सम्भाल करेंगे। उनके अन्दर रावण का कोई भी अंश अर्थात् भूत नहीं होगा। बहुत-बहुत मीठे होंगे। बाप से सदा सच्चे रहेंगे। कोई आसुरी मनुष्य अगर भूल भी करेगा तो उस पर खुद क्रोध नहीं करेंगे। हर कर्म से बाप का शो करेंगे।

    गीत:-

    जो पिया के साथ हैं...   

    ओम् शान्ति।

    जो पिया के साथ हैं– भाई और बहनें, वह एक दो को मदद करते हैं। और कोई सेन्टर में तो ऐसे होता नहीं है। यहाँ ही कायदा है। जब तक बापदादा आये तब तक एक दो को बाप से बुद्धियोग लगाने मदद करने योग में बैठते हैं। खुद भी याद में बैठते हैं और दूसरों को भी इशारे से याद में बिठाते हैं। हम भी याद में बैठे हैं, तुम भी शिवबाबा की याद में बैठो। बच्चे जानते हैं शिवबाबा को याद करने से हमारे विकर्म भस्म होंगे। यह एक दो को मदद करनी है। जो सामने बैठते हैं उनको भी वह समय याद में रहना ही है। ऐसे नहीं स्टूडेन्ट को कहे बाप की याद में बैठो और टीचर की बुद्धि इधर उधर सम्बन्धियों आदि तरफ दौड़ती रहे। यह तो शोभता नहीं। टीचर के ऊपर दोष पड़ जाए इसलिए पहले तो खुद को ऐसी अवस्था में बिठाना है। हम बाबा को याद करते हैं– विकर्म विनाश करने के लिए। इसमें बोलने की भी दरकार नहीं रहती। बुद्धि समझती है– बाहर में रहने वालों को तो गोरखधन्धा, मित्र-सम्बन्धियों, गुरू-गोसाई आदि का लफड़ा रहता है। बुद्धि जाती होगी। यहाँ तुमको तो कोई गोरखधन्धा नहीं है। तुम जास्ती याद कर सकते हो, जितना हो सके शिवबाबा को याद करना चाहिए। अगर मित्र-सम्बन्धी आदि याद आये, कहाँ बुद्धि गई तो दण्ड पड़ जायेगा। योग में न रहने से फिर वायुमण्डल को बिगाड़ देते हैं। सब तो ऐसे नहीं हैं जो बाप की याद में रहते हैं। कभी कोई सच नहीं बताते हैं कि हमारा बुद्धियोग नहीं लगा, फलाना-फलाना याद आया। सच्चे बच्चे बाबा को झट आकर सुनाते हैं कि हमारे से यह पाप हुआ। फलाने पर गुस्सा किया, उनको मारा। बहुत बच्चे तो सच कभी बताते नहीं। फिर और ही पक्की प्रैक्टिस हो जाती है। विकर्म जास्ती होते रहते हैं। आगे मम्मा कचहरी कराती थी। पूछती थी कोई ने विकर्म तो नहीं किया। यह तो बाबा समझाते हैं, सच न बताने से और ही दण्ड पड़ता है। फायदे के बदले नुकसान हो जाता है। 

    सच्चे बहुत थोड़े हैं, जो सच्चे बाबा की सर्विस में सच्चे होकर रहते हैं। कोई को बाप का परिचय देना बड़ा सहज है। परन्तु प्रदर्शनी आदि में इतने ढेर आते हैं, बहुत थोड़े ही समझते हैं। सिर्फ जो उल्टी इम्प्रेशन भरी हुई है वह मिट जाती है। उसमें जो ब्राह्मण कुल का होगा उनकी बुद्धि में बैठेगा। बाकी आसुरी सम्प्रदाय थोड़ेही समझेंगे। संगमयुग पर ही एक तरफ है आसुरी सम्प्रदाय, दूसरी तरफ है दैवी सम्प्रदाय। तुम अभी दैवीगुण धारण कर दैवी सम्प्रदाय बन रहे हो। अभी तुम ब्राह्मण सम्प्रदाय हो, वह हैं शूद्र सम्प्रदाय। यह सब राज तुम ही जानते हो। हमने 84 का चक्र खाया है। अभी फिर चक्र फिरता है। अब चक्र पूरा होता है फिर यहाँ से ऊपर जाना है। बाकी जो यह चित्र आदि हैं, उनसे कुछ भी समझते नहीं हैं इसलिए बाप ने कहा है यह है आसुरी सम्प्रदाय, पत्थरबुद्धि। यह सब नाम नूँधे हुए हैं। बाप समझाते हैं मैं हूँ गरीब निवाज। दान गरीब ही लेते हैं। यहाँ भी गरीब ही आयेंगे। उनको ही उठाने की कोशिश करो। जैसे कुरूक्षेत्र में लक्ष्मण बच्चा है, उनको बहुत शौक है सर्विस का। जितना समय मिलता है गाँव-गाँव में जाकर प्रोजेक्टर पर सर्विस करता है। पहले से ही इतला कर देते हैं कि हम आपको वर्ल्ड की हिस्ट्री जॉग्राफी प्रोजेक्टर से समझायेंगे। बाबा ने समझाया है एक-एक चित्र पर समझाकर पक्का कराओ कि परमपिता परमात्मा बेहद का बाप है, उनका जन्म भारत में ही होता है। शिव जयन्ती भारत में ही मनाते हैं। बाबा भारत में ही आकर ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की स्थापना करते हैं। त्रिमूर्ति का चित्र कितना फर्स्टक्लास है। उनका जरा भी किसको ज्ञान नहीं है। त्रिमूर्ति नाम से एक मकान है तो पूछना चाहिए कि त्रिमूर्ति नाम क्यों रखा है? त्रिमूर्ति कौन है? अखबार में भी डाल सकते हैं कि त्रिमूर्ति किसका यादगार है? रास्ते आदि पर भी नाम रखने वाली कोई कमेटी होती है। परन्तु भारतवासी जिनकी पूजा करते उनके आक्यूपेशन को नहीं जानते। 

    नहीं तो अपने को देवी-देवता धर्म का कहलायें। परन्तु जब से रावण राज्य आरम्भ हुआ है तो अपने को हिन्दू कहलाने लगे हैं और भारतखण्ड के बदले हिन्दुस्तान खण्ड कह दिया है। हिन्दुस्तान नाम शुरू हुआ है रावणराज्य से। अब यह बातें जब किसको फुर्सत हो तब बैठ कोई समझें। फुर्सत भी उन्हों को मिलती है जिनको देवता बनना होगा। वही आते रहेंगे। उन्हों की हि·यों को अब नर्म किया जाता है। ज्ञान और योग अग्नि से पत्थर बुद्धियों को नर्म किया जाता है। प्रदर्शनी में वन्डरफुल समझानी देख नर्म होते हैं ना। कोई तो बिल्कुल ही जैसे पत्थर, बारूद बिगर सुधरते नहीं। तुमको तो मेहनत करनी है। पिछाड़ी में कोई को रहना भी है ना। वह तो जो निर्भय होंगे, जिनका बुद्धियोग एक बाप के साथ लगा हुआ होगा, वही रहेंगे। बहुतों को भय की भी बीमारी होती है। बाबा रात्रि को शिवबालक को कह रहा था कि बाबा से तुम जास्ती निर्भय हो। गऊओं से डरते नहीं हो। बिगर धणी किसको आने नहीं देंगी। आजकल जानवरों जैसा भी मनुष्यों में अक्ल नहीं है तब तो बन्दर सम्प्रदाय कहा जाता है। नारद भी मनुष्य था ना। परन्तु उनको कहा तुम अपनी शक्ल तो देखो। तुम्हारे में आसुरी गुण हैं। देह-अभिमान तो नम्बरवन है। भगवान ने खुद कहा है यह बन्दर सेना है। शास्त्रों में लिखा है– सीता चोरी हो गई, फिर बन्दर सेना ली। अब रावण भी कोई है नहीं। 10 शीश वाला रावण सीता को भगायेगा कैसे? बड़ा वन्डर लगता है। ऐसे पत्थरबुद्धि मनुष्य हैं जो सब सत-सत करते रहते हैं। बन्दर सेना कहाँ से आयेगी। अब सिद्ध होता है कलियुगी मनुष्य ही बन्दर मिसल हैं। बाप आकर फिर देवता बनाते हैं। तुम सभी को समझाते हो कि भारत क्या था। बाबा ने आकर पतितों को पावन बनाया है। तो बाबा ही कहते हैं यह कंस जरासन्धी, शिशुपाल आदि हैं। एक्टिविटी तो चलती है ना। यह हैं संगम की बातें। कितना रात-दिन का फर्क है– बाबा की समझानी और शास्त्रों में। रावण राज्य शुरू हुआ है तब ही अपने को हिन्दू कहलाने लग पड़े हैं। जगत-नाथ का मन्दिर भी है। 

    जब देवतायें वाम मार्ग में गये तब हिन्दुस्तान नाम रखा है। हिन्दू, हिन्दू कहते रहते हैं। पूछो हिन्दू धर्म किसने स्थापन किया तो बता नहीं सकेंगे। लक्ष्मी-नारायण को कोई हिन्दू थोड़ेही कहते हैं। यह तो देवी-देवता थे ना। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे तुम तो यहाँ पिया के साथ हो। तुम्हारे लिए डायरेक्ट बरसात है। तो कितना अच्छा बनना चाहिए। यह है शिवबाबा का रूद्र ज्ञान यज्ञ। इस यज्ञ के तुम ब्राह्मण हो रक्षक। यज्ञ की सम्भाल हमेशा ब्राह्मण करते हैं और ब्राह्मण जितना समय यज्ञ रचते हैं तो पतित नहीं बनते। यह तो बहुत भारी यज्ञ है। ब्राह्मण कब पतित नहीं बन सकते। बाबा को लिखकर भेजते हैं, हमने काला मुँह कर दिया। अरे, यह शिवबाबा का यज्ञ है। उसमें सभी ब्राह्मण यज्ञ के रक्षक उल्टा काम कर न सकें। उनको तो पूरा देही-अभिमानी रहना है। कोई भी विकार नहीं होना चाहिए। अपनी सम्भाल करनी चाहिए। नहीं तो समझा जायेगा यह बन्दर-बन्दरी हैं। वह तो बहुत पाप के भागी बन जायेंगे। ब्राह्मण बनकर अगर पाप कर्म करते हैं तो उसका दण्ड बहुत भारी मिलेगा। कहा जाता है– यह पास्ट का कर्मभोग है। अब तो बाबा कर्मातीत बनाते हैं। कोई भी विकर्म नहीं करो। ब्राह्मणों में कोई भी भूत नहीं होना चाहिए। नहीं तो रावण का अंश हो जाता है। न इधर के, न उधर के होंगे। यह शिवबाबा का यज्ञ है ना। कुछ पाप कर्म किया तो धर्मराज के बहुत डन्डे खाने पड़ेंगे। अगर यज्ञ में कोई अपवित्र काम किया तो बहुत दण्ड भोगना पड़ेगा। बहुत मीठा बनना है। भल आसुरी मनुष्य कुछ भूलें आदि तो करते रहेंगे। परन्तु तुम बच्चों को कभी क्रोध में नहीं आना चाहिए। सच्चे ब्राह्मण बहुत-बहुत सच्चे होने चाहिए। कोई भी आये तो उनको हम रास्ता बतायें। बाबा कहते थे मैं पतंग उड़ाते भी कोई सामने आये तो उनको समझा सकता हूँ। बाबा को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। यह कोई को भी तुम समझा सकते हो। परन्तु अपने में भी गुण होने चाहिए। 

    कोई भी शैतानी काम नहीं करना चाहिए। नहीं तो बहुत सजा खानी पड़ेगी। मौत सामने खड़ा है। यह महाभारी महाभारत लड़ाई है। बाबा राजयोग सिखला रहे हैं, नई दुनिया के लिए। पुरानी का विनाश तो होना ही है। यह तुम सबको समझा सकते हो। परन्तु पहले अपने अवगुणों को निकालो तब ही सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण बनेंगे। यज्ञ के ब्राह्मणों को तो यज्ञ की बहुत सम्भाल करनी चाहिए। बहुत मीठा बनना चाहिए। कोई भी देखे, कहे इनमें तो कोई भी देह-अभिमान नहीं है। मेहमानों की तो हमेशा खातिरी की जाती है। सपूत बच्चे बाप का शो करने के लिए बहुत खातिरी करेंगे। बाबा के ढेर बच्चे हैं, सबको समझाते रहते हैं। बाबा ने भारत में यह बेहद का यज्ञ रचा है। तुम ब्राह्मण ही फिर विश्व के मालिक बनने वाले हो। मेहनत करनी है। पवित्रता पर कितने झगड़े होते हैं। स्त्री ज्ञान में है पुरूष नहीं होगा तो जरूर झगड़ा होगा। तुम बच्चों को तो खुशी में डांस करते रहना चाहिए। परन्तु इसमें है सब गुप्त। आत्मा को सुख फील होता है ना। हम भविष्य में विश्व के मालिक बनते हैं। यहाँ रहने वालों के लिए तो बहुत सहज है। कोई गोरखधन्धा आदि तो है नहीं। बहुत मीठा बनना है। भूतनाथ बना तो विश्व के मालिक कैसे बन सकेंगे। अपनी कमाई को दाग लगाते हैं। भूतों को तो एकदम भगाना चाहिए। सपूत बच्चों का काम है खबरदार रहना। हम कभी बाप का नाम बदनाम नहीं करेंगे। भूत जब प्रवेश होता है तो उनको पता नहीं लगता कि हमारे में भूत है। 5 विकारों को भूत कहा जाता है। वह हैं वाइसलेस, यह है विकारी विशश। फिर भी मानते नहीं। बहुत मत-मतान्तर हैं ना। ड्रामानुसार बाबा ही आकर एक मत बनाते हैं। यह भी कोई जानते नहीं। सिर्फ कहते रहते हैं एक मत होनी चाहिए। अरे जबकि अनेक धर्म, अनेक मत हैं तो एक मत हो कैसे सकते। एक धर्म, एक मत थी ही स्वर्ग में। कोई मनुष्य थोड़ेही स्वर्ग स्थापन कर सकते हैं। कितनी वन्डरफुल बातें हैं। कोई विचार सागर मंथन करते रहें तो भी भूत की प्रवेशता न हो। 

    कोई भी भूत की प्रवेशता होने से शक्ल ही बदल जाती है। कोई को भी मनुष्य से देवता बनाकर दिखाओ। यह है तुम्हारी मिशनरी। माली अच्छे-अच्छे फूलों की कलम लगाकर बगीचे बड़े बनायें तो बागवान भी आकर देखें। अच्छा। 

    मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। 


    धारणा के लिए मुख्य सार:

    1) किसी भी भूत के वशीभूत होकर अपनी कमाई में घाटा नहीं डालना है। भूतों को एकदम निकाल सपूत बच्चा बनना है।

    2) बाप विकर्माजीत बनाने आये हैं इसलिए कोई भी विकर्म नहीं करना है। बहुत-बहुत मीठा बनना है। सबको बाप का परिचय देना है। निर्भय रहना है।

    वरदान:

    विस्तार को सार में समाकर अपनी श्रेष्ठ स्थिति बनाने वाले बाप समान लाइट माइट हाउस भव

    बाप समान लाइट, माइट हाउस बनने के लिए कोई भी बात देखते वा सुनते हो तो उसके सार को जानकर एक सेकण्ड में समा देने वा परिवर्तन करने का अभ्यास करो। क्यों, क्या के विस्तार में नहीं जाओ क्योंकि किसी भी बात के विस्तार में जाने से समय और शक्तियां व्यर्थ जाती हैं। तो विस्तार को समाकर सार में स्थित होने का अभ्यास करो-इससे अन्य आत्माओं को भी एक सेकण्ड में सारे ज्ञान का सार अनुभव करा सकेंगे।

    स्लोगन:

    अपनी वृत्ति को पावरफुल बनाओ तो सेवा में वृद्धि स्वत: होगी।



    ***OM SHANTI***